पति पवन सिंह का नाम नहीं, पर मंगलसूत्र-अंगूठी शामिल !

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भोजपुरी सिनेमा के सुपरस्टार पवन सिंह (Pawan Singh) और उनकी पत्नी ज्योति सिंह (Jyoti Singh) का रिश्ता पिछले कुछ समय से लगातार सुर्खियों में रहा है। अब इस चर्चा में एक नया मोड़ आ गया है — जब ज्योति सिंह ने करकट विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान जमा किए गए उनके हलफनामे (Affidavit) ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया।

इस हलफनामे में कई ऐसे बिंदु हैं जो लोगों को चौंकाने वाले हैं — सबसे ज्यादा चर्चा उस बात की है कि उन्होंने पति के नाम के कॉलम में पवन सिंह का नाम नहीं लिखा, बल्कि खुद को “परित्यक्त नारी” (abandoned woman) बताया।

पति का नाम गायब, लेकिन संकेत साफ :

ज्योति सिंह ने अपने हलफनामे में वैवाहिक स्थिति में लिखा — “परित्यक्त नारी”, अर्थात उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया कि अब वे पति से अलग रह रही हैं। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने पवन सिंह का नाम कहीं नहीं लिखा। यानी न “पति का नाम” कॉलम में, न ही किसी अन्य उल्लेख में।

हालांकि, सब जानते हैं कि वे पवन सिंह की पत्नी हैं, और यह कदम एक निजी और राजनीतिक दोनों स्तरों पर बड़ा संदेश देता है। कई राजनीतिक विश्लेषक इसे “आत्म-सम्मान” और “स्वतंत्र पहचान” की घोषणा के रूप में देख रहे हैं।

संपत्ति का पूरा ब्योरा — पर सादगी भरा जीवन

ज्योति सिंह ने अपने हलफनामे में बताया कि उनकी कुल संपत्ति लगभग ₹18.8 लाख रुपए की है।
इसमें शामिल हैं — एक 2024 मॉडल ग्रैंड विटारा कार (कीमत लगभग ₹14 लाख) 30 ग्राम सोना, जिसमें मंगलसूत्र, अंगूठी और चेन शामिल हैं (अनुमानित कीमत ₹4 लाख)

पिछले पांच सालों में संपत्ति में कोई बढ़ोतरी नहीं :

हलफनामे में ज्योति सिंह ने साफ कहा कि पिछले पांच वर्षों में उनकी संपत्ति में कोई वृद्धि नहीं हुई। इससे यह झलकता है कि वे किसी बड़ी आर्थिक गतिविधि या व्यवसाय से नहीं जुड़ी हैं। यह बयान भी उनके निजी संघर्षों और अलगाव की स्थिति को परोक्ष रूप से दर्शाता है।

राजनीति में “स्वयं की पार्टी”

नामांकन दाखिल करते समय ज्योति सिंह ने मीडिया से कहा — अब जनता ही मेरी पार्टी है। मैं किसी के खिलाफ नहीं, अपने लिए लड़ रही हूं। यह बयान सिर्फ एक चुनावी पंक्ति नहीं थी, बल्कि उनके जीवन की दिशा को दिखाता है। जिस तरह उन्होंने निजी संबंधों से अलग होकर राजनीतिक मंच पर कदम रखा है, वह उनके आत्मविश्वास और स्वाभिमान का प्रतीक है।

निजी विवादों की गूंज चुनावी मैदान तक :

पवन सिंह और ज्योति सिंह के बीच पिछले कुछ महीनों से चल रहे विवाद अब किसी से छिपे नहीं हैं। कभी कोर्ट, कभी सोशल मीडिया, तो कभी सार्वजनिक बयान — इस रिश्ते ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। लेकिन ज्योति सिंह ने चुनावी प्रक्रिया के ज़रिए अपने संघर्ष को एक नई पहचान देने की कोशिश की है। उनके समर्थकों का कहना है कि “यह सिर्फ एक चुनाव नहीं, बल्कि आत्म-सम्मान की लड़ाई है।”

हलफनामे में ‘मंगलसूत्र’ और ‘अंगूठी’ का जिक्र :

दिलचस्प बात यह रही कि भले उन्होंने पति का नाम हलफनामे से हटा दिया, लेकिन मंगलसूत्र और शादी की अंगूठी को अपनी संपत्ति की सूची में शामिल किया। यह दर्शाता है कि भले ही रिश्ता अब कानूनी या सामाजिक रूप से तनावपूर्ण हो, पर जीवन के कुछ प्रतीक अभी भी उनके साथ जुड़े हुए हैं।

कई लोग इसे उनके “भावनात्मक संतुलन” और “सांस्कृतिक सम्मान” का संकेत भी मान रहे हैं।

पवन सिंह पर अप्रत्यक्ष असर :

भले ही हलफनामे में उनका नाम न हो, लेकिन हर चर्चा में पवन सिंह का नाम स्वाभाविक रूप से जुड़ ही जाता है। एक तरफ पवन सिंह की लोकप्रियता भोजपुरी सिनेमा और राजनीति दोनों में बढ़ती जा रही है, तो दूसरी तरफ उनकी निजी जिंदगी की यह स्थिति उन्हें विवादों में भी रखती है।

ज्योति सिंह के चुनाव लड़ने से अब यह मामला सार्वजनिक बहस का विषय बन गया है।

जनता बनाम पहचान :

इस हलफनामे के ज़रिए ज्योति सिंह ने यह दिखाया कि एक महिला अपनी पहचान खुद बना सकती है,
भले वह किसी मशहूर हस्ती की पत्नी क्यों न हो।
उन्होंने अपने संघर्ष को शर्म नहीं, बल्कि ताकत में बदला है।
और यही कारण है कि बिहार के करकट इलाके में अब चर्चा है — “यह सिर्फ ज्योति सिंह की नहीं, हर आत्मनिर्भर महिला की कहानी है।”

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