भक्तिरस में डूबा नया गीत ‘जागी सूरज देव’ !
छठ महापर्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस पावन अवसर पर जब लोग सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं, तब संगीत की गूंज हर गली-मोहल्ले में सुनाई देती है। ऐसे ही भक्ति और समर्पण के माहौल में ‘संगीत सरगम’ प्रस्तुत कर रहा है एक नया छठ गीत — “जागी सूरज देव”।
यह गीत 2025 के छठ पर्व पर सूर्य देवता की आराधना और मातृशक्ति की भावना को समर्पित है।
गायक धनंजय अमोल की मधुर आवाज़ में आस्था का संगम
इस गीत को अपनी सुरीली आवाज़ दी है , लोकगायक धनंजय अमोल (Dhananjay Amol) ने, जिनकी गायकी भोजपुरी संस्कृति की आत्मा से जुड़ी मानी जाती है।
उनकी आवाज़ में भक्ति, भावनाओं और लोकधुनों का ऐसा मेल है जो सीधे दिल को छू जाता है।
“जागी सूरज देव” में उन्होंने श्रद्धालुओं की भावनाओं को इतनी सहजता से पिरोया है कि हर शब्द सूर्य देव की भक्ति में समर्पित लगता है।
संगीतकार राज ग़ाज़ीपुरी की धुनों में लोक संगीत की आत्मा
इस गीत का संगीत दिया है राज ग़ाज़ीपुरी (Raj Ghazipuri) ने, जो अपने पारंपरिक और आधुनिक सुरों के मिश्रण के लिए जाने जाते हैं।
गीत में इस्तेमाल किए गए लोकवाद्य जैसे ढोलक, बैंजो, हारमोनियम और मंजीरा छठ पूजा के माहौल को और भी जीवंत बनाते हैं।
संगीतकार ने भक्ति और उत्सव का ऐसा संतुलन रचा है जो श्रोताओं को सुबह की पहली किरण की तरह शांति और ऊर्जा देता है।
गीत के बोल – धनंजय अमोल की भावनाओं से भरे शब्द
गीत के बोल खुद गायक धनंजय अमोल ने लिखे हैं, जो छठी मइया की महिमा और भक्तों के समर्पण को खूबसूरती से व्यक्त करते हैं।
हर लाइन में एक गहरा भाव है — जैसे कोई माँ अपने बच्चे को सूर्य की किरणों में नहलाती हो।
बोल इतने सादे हैं कि हर आम इंसान उनसे जुड़ जाता है, और यही बात इस गीत को खास बनाती है।
प्रोड्यूसर राज पंडित का सपना – भोजपुरी संगीत को नई पहचान देना
इस गीत के निर्माता राज पंडित (Raj Pandit) हैं, जिन्होंने इस प्रोजेक्ट को भक्ति और संस्कृति के संगम के रूप में पेश किया है।
उनका मानना है कि भोजपुरी संगीत को सिर्फ मनोरंजन के रूप में नहीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा के वाहक के रूप में देखा जाना चाहिए
उनकी इसी सोच ने “जागी सूरज देव” को एक सांस्कृतिक आंदोलन जैसा रूप दिया है।
छठ पूजा की भावनाओं का सजीव चित्रण
पोस्टर और वीडियो दोनों में महिलाओं के हाथों में सूप, फल, नारियल और दीये दिखाए गए हैं — जो छठ पर्व की पहचान हैं।
सूर्य देव की प्रतिमा के सामने खड़े श्रद्धालु, नदी के तट पर दिया अर्पित करते हुए, भक्ति की सच्ची झलक देते हैं।
गीत में सुबह के अर्घ्य का भाव, सूर्य की पहली किरण और जल में प्रतिबिंबित आस्था का समरस दृश्य – हर फ्रेम दिल को छू जाता है।
टीम के प्रयास से बना यह छठ गीत एक प्रेरणा
इस भक्ति गीत के पीछे पूरी टीम ने मिलकर काम किया है —Blessings: माता-पिता और सहयोग: दीपक साहनी, म्यूजिक सरगम और पूरी टीम एवं पोस्टर डिज़ाइन: सोनू कुमार और सभी ने मिलकर इस प्रोजेक्ट को न सिर्फ एक गीत, बल्कि भक्ति का उत्सव बना दिया है।
“जागी सूरज देव” क्यों है खास?
यह गीत पूरी तरह से पारंपरिक लोकधुन पर आधारित है।
इसके बोल शुद्ध भोजपुरी और धार्मिक भावनाओं से भरे हुए हैं।
वीडियो और ऑडियो दोनों में भारतीय संस्कृति की असली झलक है।
इसे सुनकर हर भक्त सूर्य देव की महिमा को महसूस करता है।
यह गीत छठ पूजा 2025 के अवसर पर सबसे ज़्यादा सुना जाने वाला भक्ति गीत बनने की पूरी क्षमता रखता है।
भक्ति और संस्कृति का संगम – एक भावनात्मक अनुभव
“जागी सूरज देव” केवल एक गीत नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और परिवार के प्रेम का प्रतीक है।
हर बार जब यह गीत बजता है, तो ऐसा लगता है जैसे सूरज देव स्वयं मुस्कुरा रहे हों।
यह गीत लोगों को याद दिलाता है कि असली पूजा वही है जो दिल से की जाए, और संगीत जब भक्ति से जुड़ता है, तो वह पूजा का रूप ले लेता है।
निष्कर्ष: “जागी सूरज देव” – छठ पूजा की भोर में नया भक्ति संदेश
भोजपुरी संगीत की दुनिया में “जागी सूरज देव” एक ऐसा गीत है जो न सिर्फ भक्ति का भाव जगाता है, बल्कि लोक संस्कृति की धरोहर को भी आगे बढ़ाता है।
धनंजय अमोल की आवाज़, राज ग़ाज़ीपुरी की धुनें और राज पंडित के विज़न ने मिलकर इसे एक अविस्मरणीय छठ गीत बना दिया है।
अगर आप छठ पूजा के भक्त हैं, तो यह गीत ज़रूर सुनें —
क्योंकि यह गीत सिर्फ आपके कानों तक नहीं, बल्कि आपकी आत्मा तक पहुंचेगा।


