अमेरिकी टैरिफ का फायदा उठाकर चीन ने अफ्रीका में बढ़ाया कदम !

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, दूसरी बार पद संभालने के बाद से, वैश्विक व्यापार मंच पर अपने टैरिफ हथियार के साथ सक्रिय नजर आ रहे हैं। चाहे दोस्ताना देश हों या पुराने प्रतिद्वंद्वी, ट्रंप की इस नीति से कोई अछूता नहीं बचा है। उनका दावा है कि इन आर्थिक कदमों का उद्देश्य अमेरिकी अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है।

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कोई बड़ा संरचनात्मक बदलाव संभव नहीं है, बल्कि अनजाने में यह कदम चीन की वैश्विक स्थिति को और सशक्त कर सकता है।

भारत जैसे करीबी रणनीतिक साझेदार से लेकर अफ्रीका के छोटे-छोटे देशों तक, कई राष्ट्र ट्रंप की इन नीतियों से असहज हो रहे हैं।

खासकर अफ्रीका में, जहां कई देश पहले से ही चीन के आर्थिक प्रभाव में हैं, ट्रंप के बढ़ते टैरिफ ने परिस्थितियों को और जटिल बना दिया है। अफ्रीका में चीन पहले से ही निवेश, बुनियादी ढांचे के विकास और कर्ज के जरिए अपनी पैठ बना चुका है।

अब, ट्रंप ने अफ्रीकी देशों पर 30% तक का आयात शुल्क लगा दिया है, जिससे वहां के उद्योग और निर्यातक संकट में आ गए हैं। यह स्थिति अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चीन के लिए एक सुनहरा अवसर साबित हो रही है।

चीन ने न केवल अफ्रीकी देशों को समर्थन देने का आश्वासन दिया है, बल्कि यह भी घोषणा की है कि वह जून से अपने अधिकांश अफ्रीकी साझेदारों के लिए आयात पर जीरो टैरिफ लागू करेगा।

इस कदम का सीधा मतलब है कि अफ्रीकी देशों के लिए अमेरिका की तुलना में चीन के साथ व्यापार करना आसान और सस्ता हो जाएगा। नतीजतन, अफ्रीका में चीन की आर्थिक पकड़ और भी मजबूत होगी, जबकि अमेरिका वहां अपनी पकड़ कमजोर करता जाएगा।

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