बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गर्माने लगा है और इस बार राजनीति में भोजपुरी सितारों का तड़का लगना तय माना जा रहा है। फिल्म और संगीत जगत से जुड़े कई बड़े नाम अब चुनावी चर्चाओं में हैं।
पवन सिंह, मैथिली ठाकुर, अक्षरा सिंह, रितेश पांडे, खेसारी लाल यादव और राधेश्याम रसिया जैसे कलाकारों के नाम सबसे आगे हैं। आइए जानते हैं किसका रुख किस पार्टी की ओर है और बिहार की राजनीति में क्या नया समीकरण बन सकता है।
पवन सिंह की घर वापसी और भाजपा से जुड़ाव :
भोजपुरी सिनेमा के पावर स्टार पवन सिंह ने हाल ही में फिर से भाजपा की ओर रुख किया है। भाजपा महासचिव विनोद तावड़े ने पवन सिंह की “घर वापसी” कराई और उनके तथा रालोमो नेता उपेंद्र कुशवाहा के बीच हुए मतभेद भी खत्म करवाए।
राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, पवन सिंह को भाजपा आरा सीट से उम्मीदवार बना सकती है। पवन सिंह पहले से ही जनता के बीच लोकप्रिय चेहरा हैं और यदि वे मैदान में उतरते हैं तो भोजपुरी सिनेमा के प्रशंसकों के वोट भाजपा के खाते में जा सकते हैं।
मैथिली ठाकुर भी राजनीति में आने को तैयार :
लोकप्रिय लोक गायिका मैथिली ठाकुर ने भी भाजपा नेताओं से मुलाकात की है और अपनी चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। कहा जा रहा है कि पार्टी उन्हें दरभंगा या बेनीपट्टी क्षेत्र से टिकट दे सकती है।
मैथिली ठाकुर अपने सादगी भरे स्वभाव और लोक संगीत से लाखों लोगों के दिलों में जगह बना चुकी हैं। यदि वे राजनीति में आती हैं तो युवा और महिला मतदाताओं के बीच उनका प्रभाव काफी मजबूत रहेगा।
अक्षरा सिंह ने भी बढ़ाया सस्पेंस :
भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री की टॉप एक्ट्रेस अक्षरा सिंह ने हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह से मुलाकात की, जिससे उनके भाजपा में शामिल होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
हालांकि अक्षरा ने इस मुलाकात को सिर्फ “शिष्टाचार भेंट” बताया, लेकिन राजनीतिक हलकों में यह कहा जा रहा है कि वे भी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं।
कुछ समय पहले अक्षरा सिंह प्रशांत किशोर की जन सुराज टीम के साथ भी नजर आई थीं, जिससे यह कयास और भी मजबूत हो गया है कि वह राजनीति में अपनी जगह तलाश रही हैं।
रितेश पांडे ने थामा जन सुराज का दामन :
भोजपुरी गायक और अभिनेता रितेश पांडे ने औपचारिक रूप से प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी में शामिल होकर बड़ा कदम उठाया है। उन्हें करगहर विधानसभा सीट से उम्मीदवार घोषित किया गया है।
रितेश पांडे युवाओं और ग्रामीण वर्ग में खासे लोकप्रिय हैं। उनकी यह राजनीतिक एंट्री जन सुराज के लिए एक मजबूत प्रचार चेहरा साबित हो सकती है।
राधेश्याम रसिया और खेसारी लाल यादव पर सबकी नजरें
भोजपुरी लोकगायक राधेश्याम रसिया ने भी राजनीति में उतरने के संकेत दिए हैं। वहीं, सुपरस्टार खेसारी लाल यादव को लेकर भी सियासी हलकों में चर्चा है कि वे राजद (RJD) से चुनाव लड़ सकते हैं।
हालांकि खेसारी ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि उनकी पत्नी चंदा देवी को राजद से टिकट मिलने की संभावना है।
यदि खेसारी या उनके परिवार के सदस्य चुनाव मैदान में आते हैं तो यह बिहार के चुनाव को और दिलचस्प बना देगा।
क्यों राजनीति में बढ़ रही है भोजपुरी स्टार्स की दिलचस्पी?
भोजपुरी कलाकारों की लोकप्रियता सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है। यूपी, झारखंड और नेपाल के कुछ हिस्सों में भी उनकी बड़ी फैन फॉलोइंग है।
ऐसे में राजनीतिक दल इन सितारों को अपने साथ जोड़कर वोटरों तक सीधा भावनात्मक जुड़ाव बनाना चाहते हैं।भोजपुरी भाषा का असर: यह क्षेत्रीय जुड़ाव पैदा करती है।जनता के बीच पहचान: फिल्म और संगीत की वजह से लोग इन्हें पहले से जानते हैं।
लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं :
राजनीति सिर्फ शोहरत नहीं, बल्कि लगातार मेहनत, जनता से जुड़ाव और जमीन पर काम करने की मांग करती है।
भोजपुरी कलाकारों को अपने लोकप्रिय छवि के साथ-साथ राजनीतिक समझ और संगठनात्मक शक्ति भी साबित करनी होगी।
कई बार सितारे केवल प्रचार तक सीमित रह जाते हैं, लेकिन यदि सही रणनीति और टीम हो तो वे अपनी स्टार पावर को वोट में बदल सकते हैं।
बिहार की राजनीति में नया समीकरण :
बिहार की राजनीति में भोजपुरी कलाकारों का बढ़ता असर यह दर्शाता है कि जनता अब चेहरों के साथ-साथ नई उम्मीदें भी देख रही है।
जहां भाजपा की ओर से पवन सिंह, मैथिली ठाकुर और अक्षरा सिंह जैसे चेहरे चर्चा में हैं, वहीं विपक्ष में खेसारी लाल यादव और जन सुराज की ओर से रितेश पांडे जैसे कलाकार मैदान में उतर सकते हैं।
यह कहना गलत नहीं होगा कि इस बार बिहार का चुनाव “राजनीति बनाम स्टार पावर” के दिलचस्प मुकाबले में तब्दील हो सकता है।
निष्कर्ष :
बिहार चुनाव 2025 में इस बार सिर्फ नेताओं का नहीं, बल्कि भोजपुरी सितारों का भी जलवा दिखने वाला है।
पवन सिंह की भाजपा में वापसी, मैथिली ठाकुर की राजनीतिक आकांक्षा, अक्षरा सिंह की मुलाकातें, रितेश पांडे की जन सुराज से एंट्री और खेसारी यादव की अटकलें — ये सभी संकेत हैं कि राजनीति में अब सिनेमा का असर और गहराने वाला है।


