कृष्ण जन्माष्टमी का धार्मिक महत्व :
श्री कृष्ण को भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है। उन्होंने मथुरा की अंधकारमय परिस्थितियों में जन्म लेकर कंस के अत्याचार से जनता को मुक्ति दिलाई। उनके जीवन से धर्म, प्रेम, त्याग और कर्मयोग की प्रेरणा मिलती है l
जन्माष्टमी पर विशेष पूजा विधि :
अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र का संयोग इस दिन को और पावन बनाता है।भक्तजन उपवास रखकर दिनभर भजन-कीर्तन करते हैं।
रात 12 बजे श्रीकृष्ण जन्म महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें मंदिरों में झूलों पर बाल गोपाल की मूर्ति को सजाया जाता है।
पंचामृत से अभिषेक, पुष्प सज्जा और माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है l
दही हांडी महोत्सव :
कृष्ण जन्माष्टमी का सबसे लोकप्रिय आयोजन दही हांडी है, जो खासतौर पर महाराष्ट्र और गुजरात में धूमधाम से मनाया जाता है। इसमें मानव पिरामिड बनाकर ऊँचाई पर टंगी मटकी को फोड़ा जाता है, जो श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की याद दिलाता है l
कृष्ण जन्माष्टमी की सांस्कृतिक छटा :
इस दिन मंदिरों में झांकियां सजाई जाती हैं, जिसमें मथुरा, गोकुल और वृंदावन की लीलाओं का सुंदर चित्रण होता है। लोग अपने घरों में भी भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को पालने में झुलाकर जन्मोत्सव मनाते हैं
आध्यात्मिक संदेश :
कृष्ण जन्माष्टमी हमें यह सिखाती है कि धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए सत्य और न्याय का मार्ग अपनाना चाहिए। श्रीकृष्ण का जीवन हर युग में प्रासंगिक है, क्योंकि यह प्रेम, करुणा और कर्म के सिद्धांतों पर आधारित है।
कृष्ण जन्माष्टमी हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पावन पर्व है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है और भक्तजन इसे बड़े उत्साह, भक्ति और श्रद्धा के साथ मनाते हैं l